अंकों के नाम
१. अलंकारन्यास
२. द्यूतकर संवाहक
३. सन्धिच्छेद
४. मदनिका-शर्विलक
५. दुर्दिन
६. प्रवहण विपर्यय
७. आर्यक अपहरण
८. वसन्तसेनामोटन
९. व्यवहार
१०. संहार
पात्र-परिचय
पुरुष पात्र -
सूत्रधार - प्रधान नट, व्यवस्थापक
चारुदत्त - नायक, उज्जयिनी का प्रमुख नागरिक
मैत्रेय - विदूषक, चारुदत्त का मित्र ।
रोहसेन - चारुदत्त का पुत्र ।
शकार - प्रतिनायक, राजा पालक का साला।
शकारविट- शकार का सहचर ।
स्थावरक चेट - शकार का सेवक ।
संवाहक - चारुदत्त का भूतपूर्व नौकर, जुआरी और बाद में बौद्ध भिक्षु बन गया।
माथुर - प्रधान जुआरी, सभिक ।
दर्दुरक- दूसरा जुआरी ।
वर्धमानक - चारुदत्त का सेवक ।
शर्विलक – ब्राह्मण, किन्तु चोर और सच्चा मित्र ।
चेट- वसन्तसेना का सेवक ।
बन्धुल – वेश्यापुत्र, वसन्तसेना का आश्रित युवक ।
कुम्भीलक - वसन्तसेना का सेवक
विट – वसन्तसेना का सहचर ।
कर्पूरक - वसन्तसेना का भृत्य।
आर्यक- गोपाल पुत्र, बन्दी, बाद में राजा बना।
वीरक - नगर रक्षक।
चन्दनक - नगर रक्षक ।
शोधनक – न्यायालय का सफाई करने वाला।
अधिकरणिक - न्यायाधीश ।
श्रेष्ठी - न्याय निर्णय में सहायक।
कायस्थ - पेशाकार, मुकदमा लेखक।
चाण्डाल - शूली पर चढ़ाने वाला।
स्त्री पात्र -
नटी- सूत्रधार की पत्नी ।
वसन्तसेना - नायिका, गणिका ।
धूता - चारुदत्त की धर्मपत्नी ।
रदनिका - चारुदत्त की सेविका ।
चेटी - वसन्तसेना की दासी ।
छत्रधारिणी - वसन्तसेना की परिचारिका ।
वृद्धा - वसन्तसेना की माता ।
मदनिका - वसन्तसेना की प्रियदासी, शर्विलक की प्रेयसी।
मंच पर न आने वाले पात्र -
जूर्णवृद्ध - चारुदत्त का मित्र ।
पालक - उज्जैन का राजा ।
रेभिल - उज्जैन का व्यापारी, चारुदत्त का मित्र, विशिष्ट गायक ।
सिद्ध पुरुष - आर्यक की राज्य प्राप्ति की घोषणा करने वाला महात्मा ।
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