अधूरी कुछ ख्वाहिशें हैं, अधूरी है जिन्दगी
अधूरे कुछ हम हैं, अधूरे कुछ तुम
कब पूरी होगी ये दास्तां अधूरी
कौन जानता है ?
कुछ चुप है हम, कुछ चुप हो तुम
कब तक रहेंगे मौन हम
कौन जानता है ?
पहले पास होकर भी दूर थे हम
दूर होकर भी अब है पास हम
ये मीलों का फासला कब खत्म होगा
कौन जानता है ?
वृक्ष की शीतल छांव सा सुकून दिया था तुमने
कुछ ही तो दूर चले थे साथ तुम्हारे
कौन सी आंधी से आशियाना टूटा कब
कौन जानता है ?
शुभ्र ही श्वेत है, श्वेत ही शुभ्र
आनन्द ही श्वेतमय है या श्वेत ही आनन्दमय
इन दोनों में अन्तर क्या
कौन जानता है ?
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