गुरुवार, 5 अगस्त 2021

स्त्री प्रत्यय (संक्षिप्त विवरण)

यहाँ पर पीजीटी, यूजीसी इत्यादि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में आने वाले स्त्री प्रत्ययों (लघुसिद्धान्तकौमुदी के अनुसार) का संक्षेप में विवरण तालिका में दिया जा रहा है । इन्हें आप शॉर्ट नोट्स के रूप में पढ़ सकते हैं। सूक्ष्म विवरण और प्रक्रिया हेतु मूल भाग देखेें ।

टाप् प्रत्यय

      सूत्र                  अर्थ                          स्त्रीलिंग शब्द
अजाद्यतष्टाप् अजादि तथा आकारान्त शब्दों से स्त्रीलिंग में टाप् (आ) प्रत्यय होता है।अजा, एडका, अश्वा, चटका, मूषिका, बाला, मन्दा, मेधा, शूद्रा, गङ्गा, सर्वा, त्रिफला, विलाता, एता इत्यादि

चाप् प्रत्यय

               सूत्र                                     अर्थस्त्रीलिंग शब्द
(वा0) सूर्याद्देवतायां चाब्वाच्यः सूर्य की देवता स्त्री यदि ऐसा अर्थ हो तो सूर्य शब्द से चाप् प्रत्यय होता है । सूर्या 

ति प्रत्यय

   सूत्र                              अर्थ    स्त्रीलिंग शब्द
 यूनस्तिः  युवन शब्द से स्त्रीत्व विवक्षा में ति प्रत्यय होता है ।          युवतिः       

ङीन् प्रत्यय

       सूत्र                            अर्थ      स्त्रीलिंग शब्द
शार्ङ्गरवाद्यञो ङीन्शार्ङ्गरव आदि अञ् प्रत्ययान्त जो अकारान्त शब्द है उनसे स्त्रीत्व विवक्षा में ङीन् प्रत्यय होता है ।शार्ङ्गरवी, कापटवी, बैदी, ब्राह्मणी
(वा0) नृनरयोर्वृद्धिश्च नृ तथा नर शब्द से भी ङीन् प्रत्यय होता है और दोनों शब्दों में स्थित स्वरों की वृद्धि भी होती है ।      नारी

ङीप् प्रत्यय

                            सू्त्र                 अर्थ      स्त्रीलिंग शब्द
उगितश्चइस सू्त्र को समझने के लिए ठीक इसके पूर्व का सूत्र (ऋन्नेभ्यो ङीप् 4.1.5) को समझना पड़ेगा। यह सूत्र कहता है कि ऋकार तथा नकारान्त शब्दों से ङीप् प्रत्यय होता है । उगितश्च सूत्र का अर्थ है कि उगित से भी ङीप् प्रत्यय होता है। उक् इत् संज्ञक वाला कोई भी प्रत्यय यदि किसी शब्द के अन्त में है तो ऐसे शब्दों से स्त्रीलिंग में ङीप् प्रत्यय होता है।भवती, भवन्ती, पवन्ती, दीव्यन्ती
टिड्ढाणञ्द्वयसज्दध्नञ्मात्र-च्तयप्ठक्ठञ्कञ्क्वरपःअकारान्त टिदन्त, ढ, अण्, अञ्, द्वयसच्, दध्नञ्, मात्रच्, तयप्, ठक्, ठञ्, कञ् और क्वरप् प्रत्ययान्त शब्दों से स्त्रीत्व की विवक्षा में ङीप् प्रत्यय होता है।कुरुचरी, सौपर्णेयी, कुम्भकारी, चौरी, औत्सी, उरुद्वयसी, उरुदध्नी, उरुमात्री, पञ्चतयी, आक्षिकी, लावणिकी, यादृशी, इत्वरी
वयसि प्रथमेआरम्भिक आयु वाचक अकारान्त शब्द से स्त्रीलिङ्ग विवक्षा में ङीप् प्रत्यय होता है ।कुमारी, किशोरी
द्विगोःअकारान्त द्विगु समास युक्त शब्द से स्त्रीत्व विवक्षा में ङीप् प्रत्यय होता है ।त्रिलोकी, पञ्चपूली, दशपूली
वर्णादनुदात्तात्तोपधातो नःऐसे वर्णवाची शब्द जिनका अन्तिम वर्ण अनुदात्त हो तथा जिनकी उपधा में "त" हो तो ऐसे शब्दों से स्त्रीत्व विवक्षा में ङीप् प्रत्यय होता है तथा उपधा में स्थित "त" के स्थान पर "न" होता है ।एनी, श्येनी,  रोहिणी, हरिणी
यञश्चयञ् प्रत्ययान्त शब्दों से भी स्त्रीत्व विवक्षा में प्रातिपदिक से परे ङीप् प्रत्यय होता है । (गार्ग के अकार का लोप करने पर)
गार्गी, वात्सी

ऊङ् प्रत्यय

सूत्रअर्थ     स्त्रीलिंग शब्द
ऊङुतःउकारान्त शब्द जो मनुष्यजाति वाचक हो तथा जिनकी उपधा में "य" न हो ऐसे शब्दों से स्त्रीत्व विवक्षा में ऊङ् प्रत्यय होता है ।कुरूः, ब्रह्मबन्धूः, वीरबन्धू, अलाबूः, कर्कन्धूः
पङ्गोश्चपङ्गु शब्द से भी स्त्रीत्व विवक्षा में ऊङ् प्रत्यय होता है।पङ्गूः
ऊरूत्तरपदादौपम्ये जिसका उत्तरपद ऊरु हो तथा पूर्वपद उमानवाची हो ऐसे शब्दों से स्त्रीत्व विवक्षा में ऊङ् प्रत्यय होता है ।करभोरूः, तम्भोरूः, नागनासोरूः
संहितशफलक्षणवामादेश्च जिसके आदि में संहित, शफ, लक्षण अथवा वाम हो तथा उत्तरपद ऊरु हो तो ऐसे शब्दों से भी स्त्रीलिंग में ऊङ् प्रत्यय होता है ।संहितोरूः, शफोरूः, लक्षणोरूः, वामोरूः
(वा0) श्वशुरस्योकाराकारलोपश्चश्वशुर शब्द से ऊङ् प्रत्यय होता है और श्वशुर शब्द के उकार का लोप भी होता है ।       श्वश्रूः

ङीष् प्रत्यय

                         सूत्र             अर्थ स्त्रीलिंग शब्द
     प्राचां ष्फ तद्धितःयञ् प्रत्ययान्त शब्दों से प्राचीन आचार्यों के मत में ष्फ तद्धित प्रत्यय भी होता है ।गार्ग्यायणी, वात्स्यायनी
    षिद्गौरादिभ्यश्चषित् प्रत्ययान्त तथा गौरादि शब्दों से स्त्रीत्व विवक्षा में ङीष् प्रत्यय होता है ।गौरी, मत्सी, नर्तकी, रजकी, खनकी इत्यादि
     वोतो गुणवचनात्उकारान्त गुणवाची शब्द से स्त्रीत्व विवक्षा में विकल्प से ङीष् प्रत्यय होता है ।पट्वी, पटुः, मृद्वी, मृदुः
बह्वादिभ्यश्चबहु आदि शब्दों से भी स्त्रीत्व  विवक्षा में विकल्प से ङीष् प्रत्यय होता है ।बह्वी, बहुः
    (वा0) कृदिकारादक्तिनऐसे इकारान्त कृदन्त शब्द जिसमें क्तिन् प्रत्यय नहीं है उनसे विकल्प से ङीष् प्रत्यय होता है ।रात्री, रात्रिः
       पुंयोगादाख्यायाम्जिस पुल्लिंग शब्द का पुरुष के योग से स्त्रीलिंग में परिवर्तन करना है उस शब्द से ङीष् प्रत्यय होता है ।गोपी, गणकी, महामात्री, प्रचरी, प्रष्ठी
   (वा0) सर्वतोSक्तिन्नर्थादित्येकेक्तिन् प्रत्यय के अर्थ से भिन्न अर्थ वाले सभी इकारान्त शब्दों से ङीष् प्रत्यय होता है, ऐसा कुछ आचार्य कहते हैं ।शकटी, शकटिः
इन्द्रवरुणभवशर्वरुद्रमृडहिमारण्ययवयवन-
मातुलाचार्याणामानुक्
इन्द्र, वरुण, भव, शर्व, रुद्र, मृड, हिम, अरण्य, यव, यवन, मातुल, आचार्य शब्दों से ङीष् प्रत्यय के साथ आनुक् आगम भी होता है ।इन्द्राणी, वरुणानी, भवानी, शर्वाणी, रुद्राणी, मृडानी इत्यादि
क्रीतात् करणपूर्वात्ऐसा अकारान्त शब्द जिसके अन्त में क्रीत हो और करणवाचक शब्द पूर्व में हो उससे स्त्रीत्व विवक्षा में ङीष् प्रत्यय होता है ।वस्त्रक्रीती, वसनक्रीती
  स्वाङ्गाच्चोपसर्जनादसंयोगोपधात्स्वाङ्गवाची शब्द यदि उपसर्जन हो और उसकी उपधा में संयोग न हो तो ऐसे शब्दों से स्त्रीत्व विवक्षा में विकल्प से ङीष् प्रत्यय होता है ।चन्द्रमुखी, चन्द्रमुखा, अतिकेशी, अतिकेशा
   जातेरस्त्रीविषयादयोपधात्जातिवाचक जो शब्द केवल स्त्रीलिंग में ही नियत नहीं है तथा अयोपध (जिसकी उपधा में य नहीं है) हो, ऐसे शब्दों से स्त्रीत्वविवक्षा में ङीष् प्रत्यय होता है ।तटी, वृषली, कठी, वह्वची
(वा0) योपधप्रतिषेधे हयगवयमुकय-मनुष्यमत्स्यानामप्रतिषेधेःयोपध शब्दों से ङीष् का जो निषेध हुआ है उसमें हय, गवय, मुकय, मनुष्य और मत्स्य शब्दों का निषेध नहीं होगा । अर्थात् ङीष् होगा ।हयी, गवयी, मुकयी, मनुषी
(वा0) मत्स्यस्य ङ्याम्
मत्स्य शब्द के बाद यदि ङी हो तो य् का लोप होता है ।मत्सी
 इतो मनुष्यजातेइकारान्त मनुष्यजाति वाचक शब्द से स्त्रीलिंग विवक्षा में ङीष् प्रत्यय होता है ।दाक्षी, अवन्ती, कुन्ती, प्लाक्षी, दीक्षी

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

आपने स्त्री प्रत्यय पर इतनी व्यवस्थित जानकारी देकर बहुत उपकार किया है। यह सामग्री प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले के लिए उपयोगी हो ही, पाठ्यक्रम के रूप में भी उपयोगी है। इस प्रकार की सामग्री उपलब्ध कराते रहने के लिए ईश्वर आपको अवसर दे।

संस्कृत पाठशाला Sanskrit Pathashala ने कहा…

आप लोगों के साथ से ही अवसर की संभावना है। धन्यवाद

शुकनासोपदेश प्रश्नोत्तरी

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