वैदिक साहित्य -
- ऋग्वेद-अग्नि सूक्त (1.1)
- विश्वेदेवा सूक्त (1.89)
- विष्णु सूक्त (1.154)
- प्रजापति सूक्त (10.121)
यजुर्वेद -
- शिवसंकल्पसूक्त (34.1–6)
ईशावास्योपनिषद् - (सम्पूर्ण)
वैदिक वाङ्मय का संक्षिप्त इतिहास - (काल निर्धारण, प्रतिपाद्य विषय)
वेदांग का संक्षिप्त परिचय - शिक्षा, निरुक्त और छन्द ।
दार्शनिक चिन्तन -
सांख्यदर्शन-
सृष्टिप्रक्रिया, प्रमाण, सत्कार्यवाद, त्रिगुण का स्वरूप, प्रकृति का स्वरूप, पुरुष का स्वरूप (ग्रन्थ-सांख्यकारिका)
वेदान्तदर्शन -
अनुबन्ध चतुष्टय, साधन चतुष्टय माया का स्वरूप, ब्रह्म का स्वरूप ( ग्रन्थ- वेदान्तसार)
न्याय/वैशेषिक दर्शन -
प्रमाण (प्रत्यक्ष अनुमान, उपमान, शब्द) (ग्रन्थ-तर्कभाषा, तर्कसंग्रह के अनुसार)
गीतादर्शन - निष्काम कर्मयोग, स्थितप्रज्ञ का स्वरूप (गीता : द्वितीय अध्याय)
जैनदर्शन एवं बौद्धदर्शन का सामान्य परिचय - (ग्रन्थ - भारतीय दर्शन - बलदेव उपाध्याय)
व्याकरण -
१. लघुसिद्धान्तकौमुदी - संज्ञाप्रकरण, सन्धिप्रकरण, कृदन्त प्रकरण, तद्धितप्रकरण, स्त्रीप्रत्यय, समास।
2. सिद्धान्तकौमुदी - कारक प्रकरण ।
3. वाच्य परिवर्तन - कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य ।
4. शब्दरूप - अजन्त, हलन्त, (पुं० स्त्री० नपुं०) ।
5. धातुरूप - (परस्मैपदी, आत्मनेपदी) - भू, एध्, अद्, हु, दा, दिव, सु, तुद्, रुध, तन्, क्री, चुर्
भाषाविज्ञान -
1. भाषा की उत्पत्ति और परिभाषा
2. भाषाओं का वर्गीकरण
3. ध्वनि परिवर्तन, अर्थ परिवर्तन
साहित्य शास्त्र -
काव्यप्रकाश/साहित्यदर्पण - काव्यप्रयोजन, काव्य लक्षण, काव्यहेतु, काव्यभेद। शब्दशक्ति (अभिधा, लक्षणा, व्यंजना)। रस का स्वरूप, रस भेद, विभाव अनुभाव-संचारी भाव, स्वायीभाव का स्वरूप गुण का स्वरूप एवं भेद। रीति का स्वरूप एवं भेद ।
अधोलिखित अलंकार का सामान्य परिचय - शब्दालंकार - अनुप्रास, यमक, श्लेष । अर्थालंकार - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा अतिशयोक्ति, सन्देह, प्रान्तिमान, दीपक, दृष्टान्त, अपहनुति, विभावना, विशेषोक्ति, विरोधाभास, परिसंख्या अर्थान्तरन्यास।
दशरूपक - नाट्य लक्षण, नाट्य भेद, अर्थप्रकृति, कार्यावस्था, पञ्चसन्धि, नायक का स्वरूप एवं भेद । पारिभाषिक शब्द - नान्दी, प्रस्तावना, सूत्रधार, कञ्चुुुकी, प्रवेशक, विष्कम्भक, प्रकाश, आकाशभाषित, जनान्तिक, अपवारित, स्वगत, भरतवाक्य ।
ध्वन्यालोक - (प्रथम उद्योत) ध्वनि का स्वरूप।
लौकिक-साहित्य -
- रामायण एवं महाभारत - कालनिर्धारण, उपजीव्यता एवं महत्त्व।
- प्रमुख काव्य - किरातार्जुनीयम् (प्रथम सर्ग), शिशुपालवधम् (प्रथम सर्ग), नैषधीयचरितम् (प्रथम सर्ग), रघुवंशम् (द्वितीय सर्ग), कुमारसम्भवम् (प्रथम सर्ग) ।
- प्रमुख खण्डकाव्य - मेघदूतम् और नीतिशतकम् ।
- प्रमुख गद्यकाव्य - कादम्बरी (कथामुख), शिवराजविजय (प्रथम निःश्वास ) ।
- कथा साहित्य - पञ्चतन्त्र और हितोपदेश ।
- नाटक - अभिज्ञानशाकुन्तलम् (1-4 अंक), उत्तररामचरितम् (1-3 अंक), मृच्छकटिकम् (प्रथम अंक), रत्नावली, प्रतिमानाटकम् ।
- चम्पूकाव्य - नलचम्पू (आर्यावर्त वर्णन)।
- महाकाव्य, खण्डकाव्य, गद्यकाव्य, चम्पूकाव्य एवं नाट्य काव्य की उत्पत्ति एवं विकास ।
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