- शिवराजविजयम् संस्कृत वाङ्मय का प्रथम ऐतिहासिक (गद्यकाव्य) उपन्यास है ।
- इसके लेखक पण्डित अम्बिकादत्त प्यास है ।
- इस ग्रन्थ का विभाजन तीन विराम के द्वारा किया गया है । प्रत्येक विराम में चार निःश्वास हैं। इस प्रकार कुल 12 निःश्वास हैं।
- प्रधान रस - वीर रस
- उपजीव्य - इतिहासप्रसिद्ध
- नायक - शिवाजी
- कथानक - शिवाजी का जीवन चरित ।
- प्रमुख पात्र - शिवाजी, गौरसिंह, श्यामसिंह, ब्रह्मचारी गुरु, योगिराज, अफजल खान, शाइस्ता खान, रघुवीर सिंह, यवनयुवक, यशवन्तसिंह, औरंगजेब, रसनारी (रोशनआरा)
- शिवराजविजयम् 1870 ई० में लिखा गया था, जो काशी से 1901 ई० में प्रकाशित हुआ।
- शिवराज विजय में दो समानान्तर धाराएँ स्वतन्त्र रूप से प्रवाहित होती है। एक धारा के नायक शिवाजी है तो दूसरी धारा के नायक रघुवीर सिंह है ।
- अलंकार - विरोधाभास अलंकार व्यास जी का प्रिय अलंकार है।
- शिवराजविजय में पाञ्चालीरीति प्रयुक्त है।
- अम्बिकादत्त व्यास जी ने इस ग्रन्थ में मुगलकालीन समाज का सुन्दर चित्रण किया है।
- शिवराजविजय का मंगलाचरण - भागवत पुराण से लिया गया है। नमस्कारात्मक मङ्गलाचरण है -
(भा.पु. 10/१/२५)
"हिंस्र: स्वपापेन विहिंसित: खल: साधु: समत्वेन भयात् विमुच्यते" (भा.पु. १०/७/३१)
- व्यास जी की इस रचना का उद्देश्य भारतवर्ष को विदेशी शासकों के अत्याचारों से मुक्त करा कर एक स्वतंत्र और धर्मशासित अखंड राज्य की स्थापना करना है।
- शिवराजविजय का आरम्भ प्रात: काल एवं सूर्य भगवान के वर्णन से होता है ।
- शिवराजविजय के अनुसार महमूद गजनवी ने बारहवीं बार भारत को लूटा ।
- सोमनाथ मंदिर में दो सौ मन सोने की जंजीर से लटकने वाले महाघण्टे को महमूद गजनवी ने लूटा था - शतद्वयमणसुवर्णश्रृङ्खलावलम्बिनीं चञ्चच्चाकचक्यचकितीकृतावलोकलोचननिचयां महाघण्टां प्रसह्य....
- जब महमूद गजनवी ने सोमनाथ मन्दिर के महादेव की मूर्ति को तोड़ा तो उससे अनेक अरब पद्म मूल्य के रत्न मूर्ति से छिटक कर इधर उधर बिखर गये - गदापातसमकालमेव चानेकार्बुदपद्ममुद्रामूल्यानि रत्नानि मूर्तिमध्यादुच्छलितानि परितोऽवाकीर्यन्त ।
- वि. सं. १०८७ में महमूद गजनवी की मृत्यु हो गई।
- गोर देश निवासी शहाबुद्दीन (मुहम्मद गोरी) नामक यवन ने गजनी देश पर आक्रमण किया था ।
- भारतवर्ष में यवन राज्य का बीजारोपण मुख्यता शहाबुद्दीन ने ही किया और इसी का कुतुबुद्दीन नाम का एक गुलाम भारत वर्ष का प्रथम यवन सम्राट हुआ ।
- व्यास जी ने अकबर को भारत का गूढ़ शत्रु कहा ।
- ब्रह्मचारी गुरु योगीराज को बताते हैं कि शिवाजी सिंह गढ़ के दुर्ग में सेना सहित रह रहे हैं और उनकी शत्रुता बीजापुर नरेश (शाइस्ता खां) के साथ है।
- "कार्यं वा साधयेयं देहं वा पातयेयम्" अर्थात् या तो कार्य को ही पूरा करूंगा या देह को ही नष्ट कर डालूंगा । यह शिवाजी की प्रतिज्ञा है।
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2 टिप्पणियां:
शिवराजविजयम् महाकाव्य नहीं है, अपितु एक उपन्यास (गद्यकाव्य) है।
जी बिल्कुल सही।
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