बुधवार, 2 जून 2021

शिवराजविजय का सामान्य अध्ययन

  • शिवराजविजयम् संस्कृत वाङ्मय का प्रथम ऐतिहासिक  (गद्यकाव्य) उपन्यास है ।
  • इसके लेखक पण्डित अम्बिकादत्त प्यास है ।
  • इस ग्रन्थ का विभाजन तीन विराम के द्वारा किया गया है । प्रत्येक विराम में चार निःश्वास हैं। इस प्रकार कुल 12 निःश्वास हैं।
  • प्रधान रस - वीर रस
  • उपजीव्य - इतिहासप्रसिद्ध
  • नायक - शिवाजी
  • कथानक - शिवाजी का जीवन चरित ।
  • प्रमुख पात्र - शिवाजी, गौरसिंह, श्यामसिंह, ब्रह्मचारी गुरु, योगिराज, अफजल खान, शाइस्ता खान, रघुवीर सिंह, यवनयुवक, यशवन्तसिंह, औरंगजेब, रसनारी (रोशनआरा)
  • शिवराजविजयम् 1870 ई० में लिखा गया था, जो काशी से 1901 ई० में प्रकाशित हुआ।
  • शिवराज विजय में दो समानान्तर धाराएँ स्वतन्त्र रूप से प्रवाहित होती है। एक धारा के नायक शिवाजी है तो दूसरी धारा के नायक रघुवीर सिंह है ।
  • अलंकार - विरोधाभास अलंकार व्यास जी का प्रिय अलंकार है।
  • शिवराजविजय में पाञ्चालीरीति प्रयुक्त है।
  • अम्बिकादत्त व्यास जी ने इस ग्रन्थ में मुगलकालीन समाज का सुन्दर चित्रण किया है।
  • शिवराजविजय का मंगलाचरण - भागवत पुराण से लिया गया है। नमस्कारात्मक मङ्गलाचरण है -
          “विष्णोर्माया भगवती यया सम्मोहितं जगत्" 
                                   (भा.पु. 10/१/२५)
          "हिंस्र: स्वपापेन विहिंसित: खल: साधु: समत्वेन भयात् विमुच्यते"         (भा.पु. १०/७/३१)

  • व्यास जी की इस रचना का उद्देश्य भारतवर्ष को विदेशी शासकों के अत्याचारों से मुक्त करा कर एक स्वतंत्र और धर्मशासित अखंड राज्य की स्थापना करना है।
  • शिवराजविजय का आरम्भ प्रात: काल एवं सूर्य भगवान के वर्णन से होता है ।
  • शिवराजविजय के अनुसार महमूद गजनवी ने बारहवीं बार भारत को लूटा ।
  • सोमनाथ मंदिर में दो सौ मन सोने की जंजीर से लटकने वाले महाघण्टे को महमूद गजनवी ने लूटा था - शतद्वयमणसुवर्णश्रृङ्खलावलम्बिनीं चञ्चच्चाकचक्यचकितीकृतावलोकलोचननिचयां महाघण्टां प्रसह्य....
  • जब महमूद गजनवी ने सोमनाथ मन्दिर के महादेव की मूर्ति को तोड़ा तो उससे अनेक अरब पद्म मूल्य के रत्न मूर्ति से छिटक कर इधर उधर बिखर गये - गदापातसमकालमेव चानेकार्बुदपद्ममुद्रामूल्यानि रत्नानि मूर्तिमध्यादुच्छलितानि परितोऽवाकीर्यन्त ।
  • वि. सं. १०८७ में महमूद गजनवी की मृत्यु हो गई।
  • गोर देश निवासी शहाबुद्दीन (मुहम्मद गोरी) नामक यवन ने गजनी देश पर आक्रमण किया था ।
  • भारतवर्ष में यवन राज्य का बीजारोपण मुख्यता शहाबुद्दीन ने ही किया और इसी का कुतुबुद्दीन नाम का एक गुलाम भारत वर्ष का प्रथम यवन सम्राट हुआ ।
  • व्यास जी ने अकबर को भारत का गूढ़ शत्रु कहा ।
  • ब्रह्मचारी गुरु योगीराज को बताते हैं कि शिवाजी सिंह गढ़ के दुर्ग में सेना सहित रह रहे हैं और उनकी शत्रुता बीजापुर नरेश (शाइस्ता खां)  के साथ है।
  • "कार्यं वा साधयेयं देहं वा पातयेयम्" अर्थात् या तो कार्य को ही पूरा करूंगा या देह को ही नष्ट कर डालूंगा । यह शिवाजी की प्रतिज्ञा है।
  1. पंडित अम्बिकादत्त व्यास का जीवनवृत्त पढ़ने हेतु यहां क्लिक करें।
  2. शिवराजविजयम् पढ़ने हेतु यहां क्लिक करें।

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

शिवराजविजयम् महाकाव्य नहीं है, अपितु एक उपन्यास (गद्यकाव्य) है।

संस्कृत पाठशाला Sanskrit Pathashala ने कहा…

जी बिल्कुल सही।

शुकनासोपदेश प्रश्नोत्तरी

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